3 जुलाई से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा में मौसम भी श्रद्धालुओं की परीक्षा ले रहा है. खराब मौसम के बावजूद यात्रा जारी है. 16 जुलाई शाम करीब सवा सात बजे अचानक तेज बारिश शुरू हो गई. लगातार बारिश के चलते रायलपथरी और ब्ररीमर्ग के बीच जेड मोड़ पर भूस्खलन हो गया. इसके चलते यात्रा रुक गई और बड़ी संख्या में यात्री फंस गए. ब्ररीमर्ग में तैनात सेना की टुकड़ी ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. इस इलाके में फंसे करीब 500 यात्रियों को शेल्टर दिया गया और उन्हें चाय और पीने का पानी मुहैया कराया गया. इसके अलावा 3000 अन्य तीर्थयात्रियों को ब्ररीमर्ग और जेड मोड़ के बीच लंगरों में शरण ली थी उन्हें शेल्टर और खाना उपलब्ध कराया गया.
बीमार को स्ट्रेचर के जरिए निकाला
रायलपथरी में दो भूस्खलन संभावित जोन के बीच फंसे एक बीमार यात्री को भी सेना की क्विक रेस्पॉंस टीम ने रेस्क्यू किया. खराब मौसम के बावजूद स्ट्रेचर के जरिए उसे सुरक्षित रायलपथरी पहुंचाया गया, जहां से एम्बुलेंस के जरिए बीमार व्यक्ति को आगे की चिकित्सा देखभाल के लिए ले जाया गया. फिलहाल सेना मौजूदा हालातों को मॉनिटर कर रही है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है. अमरनाथ यात्रा के लिए चलाए जा रहे सुरक्षाबलों के ऑपरेशन शिवा में थलसेना के 8500 से ज्यादा सैनिकों की तैनाती की गई है.
पूरे रूट पर सेना की चिकित्सा व्यवस्था है चौकस
थलसेना ऑपरेशन शिवा में स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए डटी है. सेना के 150 से ज्यादा डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ तैनात किए गए हैं. सेना ने 2 एडवांस ड्रेसिंग स्टेशन, 9 मेडिकल सहायता केंद्र और 100 बेड का एक हॉस्पिटल स्थापित किया है. इसके अलावा 26 ऑक्सीजन बूथ भी शामिल हैं. 25000 लोगों के लिए इमरजेंसी राशन का भी इंतजाम है और क्विक रिएक्शन टीम भी तैनात की गई हैं. किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए भारतीय सेना के हेलिकॉप्टर भी तैयार रखे गए हैं. सेना की इंजीनियर टास्क फोर्स पुलों के निर्माण के साथ ही रास्तों को चौड़ा करने और किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैनात है.
थलसेना के हाईटेक इंतजाम
ऑपरेशन शिवा के तहत भारतीय सेना ने मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके पूरी यात्रा को मॉनिटर किया जा रहा है. खास तरीके के एप के जरिए बसों के काफिलों की लाइव ट्रैकिंग भी जारी है. यह ट्रैकिंग यात्रा के शुरू होने से गुफा तक जाने तक की जा रही है. हर पल की स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है. ड्रोन के खतरे से निपटने के लिए 50 से ज्यादा काउंटर ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम तैनात किए गए हैं. पूरे यात्रा रूट और पवित्र गुफा की निगरानी ड्रोन के जरिए की जा रही है. इसके लिए हाई-रिज़ॉल्यूशन PTZ कैमरे और ड्रोन फीड का इस्तेमाल किया जा रहा है. कंट्रोल रूम से लगातार मॉनिटरिंग हो रही है. सेना ने कम्युनिकेशन को बेहतर करने के लिए सिग्नल यूनिट्स, ईएमई टीम और बॉम डिटेक्शन और नष्ट करने वाली टीमों को भी तैनात किया है.
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